Saturday 3 October 2015

                           उत्तराखण्ड  के राजकीय प्रतीक 

उत्तराखण्ड  के राज्य चिन्ह और प्रतीकों का निर्धारण वर्ष २००१ में किया गया। जिनका वर्णन निम्नलिखित है -

राजकीय चिन्ह : 

                              उत्तराखण्ड  के राजकीय चिन्ह में राज्य के भौगोलिक स्वरुप की झलक मिलती है। राज्य के प्रतीक चिन्ह में एक गोलाकार मुद्रा में तीन पर्वतों की एक श्रृंखला है तथा उसके नीचे गंगा की चार लहरों को दर्शाया गया है। बीच में स्थित छोटी अन्य दोनों चोटियों से ऊँची है और उसके मध्य में अशोक की ललाट अंकित है। अशोक की ललाट  नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया है।


राजकीय पशु  : 

                           कस्तूरी मृग (Moschus chrysogaster) को उत्तराखण्ड का राजकीय पशु घोषित किया है, अवैध शिकार के कारण ये विलुप्त होने के कगार पर है।  राज्य के केदारनाथ , फूलों की घाटी ,उत्तरकाशी तथा पिथौरागढ़ जिले के २०००  से ५००० मीटर  ऊँचाई  जंगलों में पाये  जाते  हैं । उत्तराखण्ड के अलावा कस्तूरी मृग कश्मीर , हिमांचल प्रदेश तथा सिक्किम आदि राज्यों में भी पाये जाते हैं।



राजकीय वृक्ष  :

                            उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष बुराँश (Rhodendron arboreum) को निर्धारित किया गया है।  यह एक पर्वतीय वृक्ष है जो मैदान में नही उगता है।  वृक्ष २५०० से ४००० मीटर की ऊंचाई पर पाये जाते हैं। यह फूल मार्च, अप्रैल में  मकर संक्रांति के बाद खिलते हैं। ऊंचाई बढ़ने के साथ इसका रंग हल्का लाल तथा सफ़ेद हो जाता है।




राजकीय पुष्प :

                         उत्तराखण्ड से लेकर कश्मीर तक मध्य हिमलयी क्षेत्र में ४८०० से ६००० मीटर की ऊँचाई पर पाये जाने वाले पुष्प ब्रह्मकमल(Saussurea obvallata) को उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य-पुष्प घोषित किया है।  इस पुष्प के पौधे में ५ , ७ व १२ वर्ष में एक  ही बार फूल आता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान  शिव को अर्पित करने के बाद प्रशाद के रूप में बाँटा जाता है। इसका पुष्प टहनियों में नहीं बल्कि पत्तियों से निकले कमलपात में खिलता है। उत्तराखंड में यह पुष्प  फूलों की घाटी , केदारनाथ , शिवलिंग बेस  पिण्डारी ग्लेशियर आदि क्षेत्रों में पाया जाता है। इसमें जुलाई से सितम्बर सिर्फ तीन माह तक पुष्प खिलते हैं।




राजकीय पक्षी :

                           हिमालय के मयूर के नाम से प्रसिद्ध मोनाल (Lophophorus impejanus) को राज्य पक्षी घोषित किया गया है। यह पक्षी लगभग सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र में २५०० से ५००० मीटर  ऊंचाई वाले घने जंगलों तथा बुग्यालों में पायी जाती है। मोनाल उत्तराखंड के अलावा कश्मीर , नेपाल, सिक्किम, भूटान  पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। नीले , काले, हरे आदि रंगों  मिश्रण  इस पक्षी की पूँछ हरी होती है। मोर की तरह इसके नर के सिर पर रंगीन कलंगी होती है। पक्षी कभी अपना घोंसला  अपितु किसी चट्टान  के छिद्र में  अंडे देती है।  हिमांचल प्रदेश का राज्य पक्षी तथा नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी भी मोनाल ही है। मांस और खाल के लिए इनका शिकार हो रहा है जिससे दिनों दिन इनकी संख्या घटती जा रही है।



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